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लकड़ी से बनी भारतीय ट्रेन-73 सालों से करा रही फ्री यात्रा

विरेन्द्र चौधरी 8057081945 हम आपको आज एक ऐसी भारतीय ट्रेन के बारे में बताने जा रहे है,जिसे सुनकर आप हैरत में पड़ जायेगें।जिस ट्रेन के बारे में दुनिया भर के लोग जानने को उस ट्रेन को देखने को इस ट्रेन में सफर करने को उत्सुक रहते है।जिस ट्रेन में कभी कोई किराया नहीं लगता, कोई टीटी नहीं होता,कोई टिकट की चैकिंग नहीं होती।आपको सरकार मुफ्त में सफर कराती है।कमाल की बात इस ट्रेन के डिब्बे तरह से लकड़ी के बने है। इससे भी बड़ी हैरान करने वाली बात यह है कि इस भारतीय रेल के बारे में भारत के 90 प्रतिशत लोग इस ट्रेन के बारे में नहीं जानते।
इस ट्रेन के बारे में बताने से पहले आपको ये बता दें कि भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा और दुनिया के चौथे नंबर का रेल नेटवर्क है। सुत्रों की माने तो भारत में 12,167 सवारी यानि पैसेजर ट्रेनें है और माल ढोने वाली यानि मालगाड़ी 7,349 के लगभग है।पैसेंजर ट्रैनों में सफर के लिए अलग-अलग केटेगरी की ट्रेनें है। कुछ धीमी गति की जो हर स्टेशन पर रूकती है कुछ ट्रेनें फास्ट और सुपर फास्ट है, जो बड़े स्टेशनों पर रूकती है,ये ट्रेनें लंबी दूरी की ट्रेने होतीं है। कुछ ट्रेने जैसे शताब्दी एक्सप्रेस के नाम से चलती है,इन ट्रेनो पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध रहती है,ये ट्रेनें पूरी तरह वातानुकूलित होती है। सभी ट्रेनो का किराया उनकी श्रेणियों के हिसाब से होता है। जिस ट्रेन के बारे में मैं आपको बताने जा रहा हुं,वो ट्रेन कुछ खास ट्रेन हैं।यह ट्रेन पंजाब बार्डर से हिमाचल के बीच चलती है। यह ट्रेन नागल से भाखड़ा तक जाती है। नागल से भाकड़ा तक अपना सफर 40 मिंट में पूरा करती है। नागल से भाकड़ा के बीच 25 गांव पड़ते है। जो मुफ्त मे इसके सफर का लुत्फ उठाते है। देश-विदेश से जो सैलानी आते है उनके लिए भी रेल यात्रा फ्री है।यह मुफ्त रेल सेवा का सिलसिला पिछले लगभग 73 सालों से जारी हैं। इस खबर को जानकर आप हैरत में पड़ जाओगे,आखिर इस ट्रेन का सफर फ्री क्यूं है ? दरअसल ये ट्रेन भाकड़ा नागलडैम को दिखाने और उसके बारें में जानकारी देनें के लिए चलाई गई थी। ताकि आम भारतीय और दुनियाभर के लोग जान सके कि भाखड़ा डैम को बनाने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा।इस ट्रेन का संचालन भाखड़ा डैम के प्रशासन द्वारा संचालित किया जाता हैं।लगभग 309 यात्री प्रतिदिन सफर करतें हैं। यह स्पेशल ट्रेन दिन में दो चक्कर लगाती है।पहला सफर सुबह 7.05 पर नागल से शुरू करती हैं फिर 8.29 पर भाखडा से नागल के लिए चलती है। फिर दोपहर में 3.05 पर नागल से चलकर भाखडा डैम से 4.20 पर वापसी करती है। ये ट्रेन डीजल से चलती है और इसमें 50 लीटर डीजल एख चक्कर में लगता हैं। इस ट्रेन की खासियत यह है जहां इसमें कोई किराया नहीं लगता,वहीं इसके सारे कोच लकड़ी से बने है। जब इस ट्रेन की सात दशक पहले शुरुआत हुई थी, तब इसमें लकड़ी के 10 बोगियां थी,जो अब मात्र 3 रह गयी है।इन तीन बोगियों में से एक बोगी पर्यटकों के लिए, एक बोगी महिलाओं के लिए आरक्षित है। मगर अफसोस दुनिया की इस खास ट्रेन की तरफ ना तो भाखडा प्रशासन ध्यान दे रहा है ना ही सरकार। बड़ा सवाल यह है कि अपनी तरह की इकलौती ट्रेन समय के साथ खत्म हो जायेगी।

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