Ticker

6/recent/ticker-posts

देश की संसद और जनसंसद में भीषण महायुद्ध की तैयारी

देश में समाज जाग रहा है स्वराज मांग रहा है●देश के जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करने और उन्हें वोटर द्वारा हटाने की मुहिम शुरू●देश की संसद के ऊपर नागरिकों की बनेगी जनसंसद●Party Less India का कॉन्सेप्ट आया सामने


विरेन्द्र चौधरी

8057081945


नई दिल्ली। बंगलादेश के हालात सबके सामने है। हालातों से मजबूर जनता ने बगावत कर प्रधानमंत्री निवास, सासंदों के बंगलो को आग के हवाले कर दिया। सांसदो ने दहशत में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पाक के हालात दुनिया के सामने है। वहां भी जन बगावत के हालात है।

   भारत में भी मंहगाई पिछले आठ वर्षों में चरमसीमा पर है। किसानों का आंदोलन एक वर्ष से अधिक चला। सरकार ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश तो की,जनसंवाद की नहीं। सरकार ने अपनी कमियों पर पर्दा डालने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नफरत की राजनीति का सहारा लिया,ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। विधायक सांसद मंत्री सब सत्ता के नशे में मदहोश है,और सत्ता में बने रहने की जुगत में रहते है।आम नागरिक, अपने क्षेत्रों की समस्याओं से किसी का कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि देश के चुने हुए विधायक और सांसदो, सरकारों पर देश के प्रति कोई जवाबदेही की जिम्मेदारी नहीं है।

        भारत में बहुसंख्यक समाज सनातनी है,शांति प्रिय और राष्ट्रवादी है।इसलिए यहां बांगलादेश, पाकिस्तान जैसे हालात तो नहीं हो सकते।लेकिन अब जनता में जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश पनपने लगा है।इसलिए जनता के प्रबुद्ध नागरिकों ने देश की संसद की जवाबदेही तय करने के लिए जनसंसद की नींव रख दी है। जनसंसद ने जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय कराने के लिए बडा आंदोलन करने की शुरुआत कर दी है।जो आने वाले समय में राजनीति की नयी रूप रेखा तय करेगा।



आज़ादी के बाद से किसी भी पार्टी ने किसी भी नेता ने देश का भला नहीं किया है,ना ही अब इन नेताओं से कोई उम्मीद की जा सकती है। देश में अपार प्राकृतिक संपदा,संसाधन है। भारत आज भी सोने की चीड़िया है, मगर देश की राजनीति के चलते सारा धन देश के दस-बीस प्रतिशत लोगों पर है। 80 प्रतिशत जनता अभाव,असमानता की शिकार हैं। इसके लिए व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है। जनता को जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करनी होगी।इसके लिए नयी व्यवस्था के तहत चुनाव लड़ने वाले को एक एग्रीमेंट जमा कराना होगा। जिसमें उसे बताना होगा कि वो अपने क्षेत्र में इतने समय में ये-ये काम करायेगा। अगर नहीं करा पाता तो आप 'जनता' मेरा इस्तीफा सरकार को भेजकर मुझे हटा सकती है। कार्यवाही करके मुझे जेल भी भिजवा सकती है। इससे इनकी जवाबदेही तय होगी।जनता को न्याय मिलेगा।

       जनसंसद               Party Less India

              समाज में सिस्टम को लेकर फैला असंतोष और सुलगते सवालों से एक बात तो साफ है कि देश जाग चुका है, वो बदलाव चाहता है। 'RSS' आर एस एस और भाजपा हमेशा स्वराज की बात करती है। सच यह है अब करोड़ों लोगों के दिमाग में स्वराज के दीप जगमगा उठे हैं, वो चिल्ला चिल्लाकर बता रहे हैं कि उनके देश, राज्य, जिले, नगर, ब्लाक या गांव में आम नागरिक और सामूहिक विकास के लिए  क्या होना चाहिए।मगर गूंगे और बहरे हमारे प्रतिनिधि सुन नहीं पा रहे। आम नागरिक मार्ग की तलाश में हैं। सच यह है वो अब चिंता ना करें, लोकतंत्र की गंगोत्री उन्हीं के बूथ से निकलती है, फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि उन्हीं का गला सूखा रह जाय। हम ऐसा नहीं होनें देगें।


इसलिए राजनीतिक दल और प्रतिनिधियों की संसद के ऊपर जनता की संसद यानि जनसंसद बनाएं जाने की आवश्यकता है। ताकि लोकतंत्र को एक प्रक्रिया के तहत नियंत्रित कि सकें, उसका संचालन कर सकें। इसके लिए समाज ने दल मुक्त भारत का अभियान शुरू किया है। जिसे लेकर वरिष्ठ मंडल, कोर टीम और कोर कमेटी की 2 दिवसीय बैठक का आयोजन किया है, जो 21मई सुबह 10 बजे शुरू होकर 22 मई सुबह 11 बजे समाप्त हो जाएगा। 

इस बैठक में आप सभी को सादर आमंत्रित किया जा रहा है।इसके लिए आप सभी स्थान- वसंत वाटिका,न्यू टाउन, फरीदाबाद अजरोंदा मेट्रो स्टेशन के पास  दिनांक-21 मई की सुबह से 22 मई की सुबह तक कार्यक्रम में पहुंचे और आंदोलन का हिस्सा बनें।



Post a Comment

0 Comments