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KISAN CREDIT CARD किसान क्रेडिट कार्ड बना ब्याज माफिया बैंक मैनेजरो के लिए मनी लांड्रिंग का धंधा

 किसान क्रेडिट कार्ड बैंक मैनेजर बैंक स्टाफ ब्याज माफिया के लिए मनी लांड्रिंग का धंधा है - इसके खिलाफ किसानों को जागरूक करेगें और अवैध धंधे को बंद करायेगे-विरेन्द्र चौधरी

किसान क्रेडिट कार्ड का नवीनीकरण हो ब्याज लेकर--नहीं तो करेगा पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा आंदोलन - चौधरी रविन्द्र गुर्जर 

विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर। मोदी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम लागू करके किसानों को बड़ी सहुलियत दी थी। स्कीम का मतलब था किसानों को ऋण लेने के लिए इधर उधर ना भागना पड़े। लेकिन बैंक मैनेजमेंट और ब्याज माफियाओं ने किसान क्रेडिट कार्ड को मनी लांड्रिंग का धंधा बना लिया। इससे किसान को फायदा होने के बजाय किसान क्रेडिट कार्ड किसानों की सिर दर्दी बन गया। उक्त बात चौधरी रविन्द्र गुर्जर व विरेन्द्र चौधरी ने जारी अपने बयान में कही।

किसान को दिक्कत कहां आती है ?

पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव व भारतीय किसान यूनियन वर्मा के वरिष्ठ नेता चौधरी रविन्द्र गुर्जर ने जारी अपने ब्यान में कहा कि  किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए वरदान था, लेकिन बैंक मैनेजर, बैंक कर्मचारी और ब्याज माफियाओं ने इसे मनी लांड्रिंग का धंधा बना लिया। जो किसानों के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। 

रविन्द्र गुर्जर ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा खत्म होने पर किसान को एक मुश्त पैसा जमा करके नवीनीकरण कराना पड़ता है। सारा भुगतान एक साथ करना होता है,ये समझिए उल्टा-पलटा। किसान को गन्ने का पूरा भुगतान समय पर ना होने के कारण किसान भुगतान करने में असमर्थ होता है। यही गड़बड़ी है, बैंक मैनेजर किसानों पर क्रेडिट कार्ड की रकम जमा करने का पूरा दबाव बना देते हैं। किसान अपनी मजबूरी बताता है तो बैंक मैनेजर ३१ मार्च को अपने पास बुलाकर ब्याज माफिया से या अपने स्टाफ से या अपने पास से एडवांस चैक लेकर तीन प्रतिशत ब्याज पर किसान का पैसा उसके खाते में डाल देते हैं। अगले ही दिन ब्याज माफिया किसान के खाते से पैसा निकाल लेता है। सरकार बैंक मैनेजरों की संपत्ति की जांच करा ले,तो देश का सबसे बड़ा मनी लांड्रिंग का धंधा खुल जायेगा।


पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष व भारतीय किसान यूनियन वर्मा के वरिष्ठ नेता विरेन्द्र चौधरी ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड किसानों की सहुलियत के लिए नहीं मनी लांड्रिंग और बैंकों में भ्रष्टाचार बढ़ाने की स्कीम है। उन्होंने कहा कि क्या सरकार ने कभी किसान से पुछा है मोटी बकाया रकम एक साथ खाते में कहां से जमा करते हो। उन्होंने कहा क्या कभी सरकार ने किसान से पुछने की जरूरत समझी आप एक दिन बाद ही पुनः पैसा क्यूं निकाल लेते हो। जबकि रबी और खरीफ की बुआई का समय नहीं होता। सच यह है कि किसान उस पैसे को प्रधान,जमींदार, ब्याज माफिया और बैंक मैनेजर जिनसे लिए है उन्हें वापिस करना होता है। 

विरेन्द्र चौधरी ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड से किसान भले ही अमीर ना हुए हों लेकिन बैंक मैनेजर और उनके दलालों ने कोठियां और बैंक बैलेंस खड़े कर लिए हैं। चौधरी ने कहा  सरकार ने कभी किसान क्रेडिट कार्ड वाले खातों की फोरेंसिक जांच नहीं कराई। अगर सरकार खातों की फोरेंसिक जांच करा लें तो पता लगेगा किसान क्रेडिट कार्ड का धन नकद ही जमा होता है और नकद ही निकलता है ताकि मनी लांड्रिंग का भेद ना खुल पाये

विरेन्द्र चौधरी ने कहा अगर सरकार सच में किसानों का भला करना चाहती है तो किसान क्रेडिट कार्ड के 5 लाख तक की लिमिट को मात्र 5 प्रतिशत ब्याज पर करें और ब्याज का वार्षिक ब्याज लेकर कार्ड का नवीनीकरण करें।

रविन्द्र गुर्जर डोंको वाली व विरेन्द्र चौधरी ने कहा कि वे गांव के प्रधानों और किसानों को क्रेडिट कार्ड को लेकर जागरूक करेगें और एक आंदोलन खड़ा करेंगे ताकि किसानों को लाभा कराया जा सके और मनी लांड्रिंग का धंधा बंद कराया जा सके।

 

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