देश के लूटेरो को किसी और ने नहीं आपने और मैंने ही चुना है••••अभी वक्त है इनसे हिसाब मांगो••••पुछो इन्होंने चुनावी घोषणापत्र के कितने वादे पूरे किये----डी पी सिंह
विरेन्द्र चौधरी/गगन अरोड़ा
मेरठ। वर्तमान में जो देश में राजनीतिक हालात चल रहे हैं,उससे लगता है देश खतरनाक स्थिति की ओर जा रहा है। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि ऐसी स्थिति से देश को कौन बाहर निकालें क्योंकि हमाम में सब नंगे हैं।कार्यपालिका-विधायिका और न्यायपालिका तीनों अंगो की व्यवस्था पूरी तरह सड़ गई है। ये सब मिलकर अपनी कुर्सी को बचाने और अपने परिवार के लिए अकूत संपत्ति इकट्ठा करने की दौड़ में शामिल हैं। जनता शोषित है,बेदम और संवेदनहीन है। बस अपने पेट भरने की जुगत में सोचने समझने की शक्ति को चुकी है।
डी पी सिंह का कहना है कि देश को ऐसी स्थिति में पहुंचाने के लिए आप और हम बराबर के हिस्सेदार हैं। हमनें चुनाव के समय जाति को, धर्म को, सम्प्रदाय और माफियाओं को चुना। सौ दौ सौ रूपये या बोतल में अपने वोट को बेच दिया। अब अगले चुनाव तक आपकी नैतिकता मर गई। आपकी हिम्मत कैसे पड़ेगी कि आप अपने निगम पार्षद, विधायक या सांसद से ये पुछने की कि आपने अपने चुनावी घोषणापत्र पर कितना काम किया है। जनहित में कितना बजट खर्च किया है, कहां खर्च किया है। अपने क्षेत्रीय प्रतिनिधि से जो सवाल आपको पुछने चाहिए,वो सवाल,वो हौंसला तो शराब की बोतल में बंद हैं। डी पी सिंह का कहना है आप जहां भी खड़े हैं, वहीं से शुरूआत करनी होगी,पहल आपको मुझे ही करनी होगी अपने प्रतिनिधि से पुछने की कि उनकी नीधि में कितना पैसा आया वो कहां खर्च हुआ। आपने अपने चुनावी घोषणापत्र के अनुसार कितना काम कराया।तो यहीं से व्यवस्था बदलने की शुरुआत हो जायेगी। आप को अपनी सोच बदलनी चाहिए कि सभी नेता एक से होते हैं।हम क्या कर सकते हैं। सच तो यह है कि आप ही हैं जो सब कुछ कर सकते हैं। अगर आपने इसकी शुरुआत कर दी तो नेताओं को,उनके प्रतिनिधियों को छुपने की जगह नहीं मिलेगी।डी पी सिंह का कहना है राजनीति अब राष्ट्र सेवा नहीं पूरी तरह व्यापार बन गया है।ऐसा व्यापार जहां चारों तरफ से धन बरसता है। राजनीति व्यापार में ऐसी स्थिति आ गई है अगर कहीं आपदा भी आती है तो पीड़ित को कुछ नहीं मिलता, नेताओं की लाटरी निकल आती हैं। ऐसी स्थिति इस लिए आती है क्योंकि हम शिक्षित आदमी को नहीं चुनते। आज नेता बनने के लिए आपके कारण शिक्षित और ईमानदार होना जरूरी नहीं है।जरूरी होना चाहिए नेता कितना बड़ा सपनों का सौदागर है। नेता कितना बड़ा बेगैरत, बेशर्म और भ्रष्टाचार का महारथी हैं। अगर नेता के पास गुण्डो की सरदारी भी है तो सोने पर सुहागा होगा,आपकी राजनीति उतनी ही सुरक्षित होंगी। नेता जी जितने ज्यादा दंबग होंगे उतने ही बड़े नेता कहलायेंगे।
उन्होंने डी पी सिंह का देश के नागरिकों को सुझाव है कि ये चंद मुठ्ठी भर नेता जिनके हाथों में देशवासियों की कमान है। उनका अपवाद को छोड़कर किसी को राष्ट्र से प्रेम नहीं है। राष्ट्र आपका है, इसलिए अच्छे सांसद और विधायकों को चुनें।जो विधानसभा और संसद में आपकी आवाज को बुलंद कर सकें। अगर आपने अच्छे लोगों को चुनना शुरू कर दिया या तो ये भ्रष्ट नेता सुधर जायेंगे या अन्य कोई विकल्प ढुढेगें।
जागो भारत के सभ्रांत नागरिकों जागो। अन्यथा देश को ऐसे ही लूटते हुए देखते रहो और शोषण सहते रहो। क्या फर्क पड़ रहा है इन नेताओ पर कि आप कोल्हु के बैल की तरह अपना जीवन को रहे हो। लेकिन याद रखना जितने देश को लूटने वाले नेता गुनहगार है उतने ही गुनहगार आप और हम भी हैं क्योंकि इनका चुनाव हम ही करते हैं। जय हिन्द जय भारत।
देश का धन देश में ही है इन लुटेरों के पास-पदम पहलवान
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