Ticker

6/recent/ticker-posts

गायक कलाकार फरमानी नाज़ के शिव शंभू गाने पर एतराज़ क्यों ?

बड़ा सवाल -- कला की दुनिया में मुस्लिम कलाकार विभिन्न चरित्रों को निभाते आते है--मौहम्मद रफी साहब ने सैकड़ो हिंदू धार्मिक गीत गाये तो फरमानी नाज़ पर आपत्ति क्यों ?

विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर। फरमानी नाज़ ने घर में यूं ही गुनगुना शुरू किया था देसी अंदाज में एक गृहणी की तरह। यूं ही गाते गाते आज वो छोटे पर्दे की बड़ी गायक बन चुकी है। यहां तक की वो इंडियन आइडल शो तक पहुंच कर ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं। एक गीत को लेकर मुस्लिम उलेमा उससे नाराज़ हो गये जबकि वैसे ही सैकड़ो धार्मिक गीत स्व०मौहम्मद रफी फिल्मों के लिए गा चुके है। तब उलेमाओं की जुबान पर ताला पड़ा था।

मामला ये था कि कांवड यात्रा के समय फरमानी ने अपने एक सहयोगी के साथ हर हर शंभू भजन गाकर अपने यूट्यूब पर अपलोड कर दिया था। एक कलाकार के लिए सभी धर्म-मजहब बराबर होते हैं।किसी कलाकार को आप धर्म से नहीं जोड़ सकते।पुनित इस्सर मुस्लिम था,उसने महाभारत में दुर्योधन का किरदार निभा कर खूब शोहरत कमाई। फिल्म इंडस्ट्री में ना जाने कितने मुस्लिम कलाकार हिंदू चरित्र और हिंदू मुस्लिम चरित्र निभाते हैं बिना किसी भेदभाव के, क्योंकि एक कलाकार के लिए उसकी कला उसके जीवन का हिस्सा है। मौहम्मद रफी साहब ने भी सैकड़ों भजन गाकर शोहरत बटोरी। आज फरमानी नाज अपनी देशी गायकी से शोहरत बटोर रही है। उसने एक हिंदू धार्मिक गीत गाया,जिसे लाखों लोग देख चुके हैं और देखेंगे,इस पर आपत्ति क्यों ? ऐसा नहीं होना चाहिए।

दरअसल एक फतवा ऑनलाइन के चैयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारूकी ने फरमानी नाज का बिना नाम लिए इशारों में कहा किसी दूसरे धर्म की शिनाख्त वाले कार्यों से मुसलमानों को परहेज़ करना चाहिए। क्योंकि इस्लाम मज़हब में इस तरह के क्रियाकलापों की सख्ती से मनाही है।

Post a Comment

0 Comments