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मुसलमानों की जिहालत ने ईद उल अजहा का नाम बिगाड़ कर बकरा - एडवोकेट इन्तखाब आज़ाद

 मुसलमानों की जिहालत ने ईद उल अजहा का नाम बिगाड़ कर बकरा ईद बना दिया

विरेन्द्र चौधरी 

....और इस तरह ईद उल अजहा का नाम बिगाड़ कर बकरा ईद करके इसे सिर्फ  मास खाने तक मुसलमानों ने  महदूद कर लिया है और इसके पीछे के असल जज्बे एवं मकसद को भूला दिया...

हिंदी तहज़ीब वालो की तरफ से इस ईद को 'बकरा ईद' कहा गया है,तो क्या कोई बता सकता है, कि 'इंडिया' के अलावा पूरी दुनिया में कंही भी कोई इस ईद को 'बकरा ईद' कहता है। | यह कमाल सिर्फ 'हिन्दी' की तहज़ीब का है,कि जिसके रंग मे हम रंगते चले गए |

इस्लाम मे इस ईद को ईद-उल-अज्हा कहा गया है|

'ईद' के मायने है मुसलमानों के जश़न का दिन और 'अज्हा' के मायने है चाश़्त का वक्ले। लेकिन किन आवाम मे 'ईद-उल-अज्हा' के मायने क़ुरबानी की ईद से मशहूर हो गया है|फिर भी लौग 'क़ुरबानी की ईद' ना कहते हुए इसे सीधे 'बकरा ईद' कह देते है,जबकि कुरबानी, उन जानवरों की भी  होती है,जो इसलाम मे जायज है। अब इन कुछ जाहिल मुसलमानों की तरह, अब मीडिया वाले भी इसे  बकरा ईद लिखकर, जानवरों से मंसूब करके मुसलमान और इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ रहे है, तो इसमे अफ़सोस की क्या बात है--? अपनी तहज़ीब को तो,जिहालत के चलते,  खुद मुसलमानों ने  ही बिगाड़ा है| यही नही बहुत से इस्लामी केलेंडरों में भी आज  बेधड़क  'बकरा ईद' ही लिखा जा रहा है| जब इस्लाम की तारीख़ मे इस ईद को "ईद-उल-अज्हा" कहा गया है,तो फिर इसे 'बकरा ईद क्यों कहा जाता है-- ? किसी भी बुज़ुर्ग ने इस ईद को 'बकरा ईद' नही कहा है| बराए करम ये अहद करें, कि आज से हम इस ईद को सिर्फ और सिर्फ "ईद-उल-अज्हा" ही कहेंगे और ये पैग़ाम सभी  तक पहुँचायेंगे| सोशल एक्टिविस्ट ऐमन रिजवी लगातार इस बिगड़े शब्द बकरा ईद का विरोध कर, इसे ईद उल अजहा कहने पर जोर दे रही हैं

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