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उत्तर प्रदेश के साथ बैरकिट में (पश्चिम प्रदेश) लिखना शुरू करें--विरेन्द्र चौधरी

 

उत्तर प्रदेश के साथ बैरकिट में (पश्चिम प्रदेश) लिखना शुरू करें••••पृथक पश्चिम प्रदेश को लेकर सार्वजनिक स्थलों पर हो चर्चा••••छोटे छोटे संगठनों को जोड़कर बनें बड़ी ताकत 

डी पी सिंह/ विनय झबीरन

सहारनपुर। पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व भारतीय किसान यूनियन वर्मा के संगठन मंत्री विरेन्द्र चौधरी ने जनता से अपील करते हुए कहा कि आप जहां भी उत्तर प्रदेश शब्द का इस्तेमाल करते हैं वहां बैरकिट में (पश्चिम प्रदेश) लिखना शुरू करें, इससे मनोवैज्ञानिक रूप से एक जनमत बनना शुरू हो जायेगा।

विरेन्द्र चौधरी आज अपने कैंप कार्यालय में साथियों के साथ पश्चिम प्रदेश आंदोलन को जन आंदोलन में बदलने के लिए विचार विमर्श कर रहे थे। चौधरी ने कहा हमें आर्थिक आज़ादी चाहिए, पश्चिम प्रदेश का हर नागरिक पश्चिम प्रदेश को बनवाना चाहता है, लेकिन आंदोलन को समय नहीं दे पाता। इसका मूल कारण है कि यहां लोग रोजी रोटी में उलझे हैं, हमें लोगो को ये ही समझाना है कि अगर पृथक पश्चिम प्रदेश बन जाता है तो उनकी आय भी निश्चित तौर पर बढ़ जायेगी। विरेन्द्र चौधरी ने कहा आप सभी को जहां भी उत्तर प्रदेश का उल्लेख करना पड़े, वहां बैरकिट में (पश्चिम प्रदेश) भी अंकित करना शुरू करें, इससे निश्चित तौर पर पश्चिम प्रदेश आंदोलन का जनमत बढ़ना शुरू हो जायेगा, यहां के नागरिकों में जागरूकता पैदा होने लगेगी।

पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष सरदार अरविन्दर सिंह लांबा ने कहा हमारा क्षेत्र कृषि से लेकर व्यापारिक दृष्टिकोण से बहुत मजबूत है, लेकिन यहां का सारा पैसा पूरब और बुंदेलखंड के विकास में चला जाता है, जिसके कारण हम पिछले हुए हैं। सरदार अरविन्दर सिंह लांबा ने कहा हमें दोस्तों, पड़ोसियों व पार्कों में  सार्वजनिक स्थलों पर लोगों से चर्चा करनी चाहिए कि जब तक पृथक पश्चिम प्रदेश का निर्माण नहीं होगा,तब तक यहां का सारा राजस्व पूरब और बुंदेलखंड में लगता रहेगा।
जिला महामंत्री एडवोकेट भूपेन्द्र सिंह ने राय देते हुए कहा कि पश्चिम प्रदेश राजनितिक तौर पर कमजोर है, क्षेत्र के विधायक विधानसभा दूर होने के कारण मानसिक तौर पर पूरब की राजनीति के दबाव में रहते हैं। इसलिए छोटे छोटे संगठनों को अपने साथ जोड़कर हमें उनके साथ भी चर्चा करनी चाहिए। भूपेन्द्र सिंह ने कहा छोटे छोटे संगठनों को जोड़कर हम बड़ी ताकत खड़ी कर सकते हैं। आंदोलन को जन आंदोलन में बदलने के लिए छोटे छोटे संगठन हमारे बड़े मददगार साबित हो सकते हैं।

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