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115वीं जंयती पर विशेष- शहीदे आज़म भगत सिंह और जेल में उनकी बेबे

 

115वीं जंयती पर विशेष- शहीदे आज़म भगत सिंह और जेल में उनकी बेबे

विरेन्द्र चौधरी 

भगत सिंह अपने अंतिम दिनों लाहौर जेल में थे। जेल में अन्य कर्मचारियों की तरह एक अन्य कर्मचारी भी था जिसका नाम था बोधा। बोधा वाल्मीकि था और जेल में सफाई करने की उसकी जिम्मेदारी थी। जेल में सफाई के कारण भगत सिंह की बैरग की सफाई भी बोधा ही करता था। भगत सिंह उसे बेबे कहकर बुलाया करते थे।

भगत सिंह का एक सफाई कर्मचारी को बेबे कहकर बुलाना जाहिर करता है, भगत सिंह एक समान जात-पात विहिन सामाजिक अधिकार वाला आज़ाद भारत चाहते थे

भगत सिंह का कहना था कि जब मैं पैदा हुआ तो घर पर मेरी बेबे "मां" मेरे शरीर की सफाई करती थी, आज जेल में हुं तो बोधा मेरी बैरग की,मेरे टायलेट की सफाई करता है,इस नाते बोधा ही तो मेरी बेबे है। 

एक दिन भगत सिंह ने बोधा से कहा मेरी फांसी निश्चित है,मौत तय है । "बोधा" बेबे मैं आपके हाथ का बना खाना खाना चाहता हुं। बोधा चुपचाप चला गया। भगत सिंह को उम्मीद थी कि बोधा उनके लिए खाना लेकर आयेगा। लेकिन बार बार आग्रह के बाद भी बोधा उनके लिए खाना नहीं लाया। एक बार दोबारा फिर भगत सिंह ने बोधा से कहा आप मेरी बेबे है, और फांसी से पहले मैं बेबे आपके हाथ का बना खाना खाना चाहता हुं।

बोधा भगत सिंह की बात सुनकर घर लौट कर सोचता रहा कि मैं शुद्र हुं, भगत सिंह जाट सरदार है,ऊंची जाति के है,मेरे हाथ का खाना कैसे खा सकते हैं। फिर भी उसने अपने हाथ से भगत सिंह के लिए खाना बनाया।

अगले दिन बोधा बेबे अपने हाथों से बना खाना लेकर भगत सिंह की बैरग में पहुंचे। भगत सिंह ने बोधा बेबे का स्वागत करते हुए अपने पास बैठाते हुए कहा आज बेबे ने अपने हाथों का बना खाना  खिलाकर मेरी इच्छा पूरी कर दी है। ये कहते हुए भगत सिंह ने खाना खाना शुरू किया, बोधा के आंसू निकल आये। बोधा के आंखों में पानी था, जुबान पे था वाह मेरे शेर,धन्य है वो मां जिसने तूझे जन्म दिया। इतना सुनते ही भगत सिंह बेबे से लिपट गये।

मेरे विचार से बोधा बेबे के हाथों से खाना खाकर भगत सिंह संदेश देना चाहते थे,कि अंग्रेज मुक्त भारत, आज़ाद भारत प्रोगेसिव होगा,जात-पात से विमुक्त होगा,समान अधिकारों,समान सम्मान वाला भारत होगा। उन्होंने मां के मायने भी बताने की कोशिश की होगी कि जन्म देने वाली मां, मां नहीं होती,जिस धरती पर आप रह रहे हो,जो आपकी देखभाल करता हो,वो सब मां की श्रेणी में ही आते हैं। आज़ादी के बाद अगर भगत सिंह जिंदा रहते तो शायद भारत जाति विमुक्त भारत होता।

मेरे पिता ने दी भगत सिंह को श्रद्धांजलि मेरे पिताजी चौधरी बलबीर सिंह  चौधरी चरणसिंह से प्रभावित थे, उन्होंने हमेशा चौधरी चरण सिंह को वोट दिया। उन्होंने पूरे जीवन में एक बार कांग्रेस को वोट दिया। हमनें उनसे इसका कारण पूछा तो पिताजी का जवाब था,इस चुनाव में शहीद भगत सिंह साहब का छोटा भाई कुलतार सिंह चुनाव लड़ रहा है। उनकी भतीजी वोट मांगने आयी थी। अगर कुलतार सिंह हारता है तो शहीदी हार जायेगी। कुलतार सिंह को वोट ना देना मेरे लिए गुनाह होगा। कुलतार सिंह की जीत ही शहीदे आज़म भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि है। धन्य है मेरे पिता। वी पी सिंह,डी पी सिंह 

शहीदे आज़म भगत सिंह की 115वीं जंयती पर कसम खाये हम पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा के नेतृत्व में जाति विमुक्त,समान सम्मान, आखिरी आदमी को न्याय वाले पृथक पश्चिम प्रदेश आंदोलन को समर्थन देते हैं। विरेन्द्र चौधरी पत्रकार, वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा संपर्क 8057081945--9410201834••••सरदार अरविन्दर सिंह लांबा प्रदेश अध्यक्ष व्यापार मंडल पीपीएमएम संपर्क +919837069141

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