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उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया इल्ज़ाम,कोरोना काल में बोर्ड फीस का गबन किया पहले सरकार उसका हिसाब दें-अशोक मलिक

 वित्तविहीन स्कूलों में अभिभावकों ने कोरोना समय में फीस दी ही नहीं तो वापस किसको करें••संवेदनहीन सरकार ने कोरोना काल में बोर्ड की फीस का 3 गुना फीस ली गई है परीक्षा कराई नहीं••बिना परीक्षा के कोरोना काल में बोर्ड फीस का गबन किया पहले सरकार उसका हिसाब दें-अशोक मलिक 

 डान संवाददाता      


सहारनपुर।आज लेबर कॉलोनी स्थित बीडीएम पब्लिक स्कूल में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ की हाईकोर्ट के आदेश को लेकर आकस्मिक बैठक जिला अध्यक्ष के पी सिंह की अध्यक्षता और मास्टर कुलदीप के संचालन में संपन्न हुई 

बैठक को शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक मलिक ने संबोधित करते हुए कहा की  ए सी कमरे (वातानुकूलित कमरों )में बैठकर आईएएस अधिकारी जुडिशल के जजो को धरातल की अनभिज्ञता के कारण से हिंदी माध्यम छोटे मंझलें निजी स्कूलों की फीस का 15% अभिभावकों को वापस करना का आदेश अव्यवहारिक  है निजी स्कूलों को बिजली के बिल हाउस टैक्स पानी टैक्स स्कूल बच्चों को बिना  पानी पिए भी कर वसूला गया है शिक्षकों का वेतन माली, चपरासी ,चौकीदार, स्कूल वैन ड्राइवर ,सिक्योरिटी गार्ड ,आदि सभी स्कूलों पर निर्भर करते हैं स्कूल प्रबंध समिति ने शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन क्लासेस कोरोना समय में संचालित  की गई है  अपने बच्चों को बिना किसी गैरहाजिर के पढ़ा गया है स्कूलों प्रबंध समिति कोरोना काल में बदहाली को सरकार ने नजरअंदाज किया है बार-बार आर्थिक राहत पैकेज और निजी स्कूल संचालकों स्कूल शिक्षकों को मानदेय की मांग करते आ रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने कोई मदद नहीं ंकी बल्कि हमारा गत 4 वर्षों का 25 परसेंट आर टी ई का गरीब दुर्बल वर्ग के बच्चों का फीस प्रतिपूर्ति का सैकड़ों करोड रुपए शिक्षा विभाग पर बकाया है वह भी आज तक नहीं दिया गया        

श्री मलिक ने कहां  कि शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए की कक्षा 8 तक बिना लिविंग सर्टिफिकेट (टी सी )के स्कूलों में प्रवेश लिए जाने का आदेश जारी करने के उपरांत अधिकतर बच्चे अधिक फीस होने के कारण से एक स्कूल से दूसरे स्कूलों में प्रवेश ले लिए थे और छोटे मंझलें स्कूलों में जो हिंदी मीडियम स्कूल है तो अभिभावकों ने फीस दी ही नहीं थी तो फीस वापस किसकी की जाए कुराना काल में सरकार संवेदनहीन हो गई थी कोरोना से पूर्व हाई स्कूल व इंटरमीडिएट की ₹200 बोर्ड की फीस दी जाती थी लेकिन करोना काल में 600 से ₹700 बोर्ड फीस दी गई है सरकार ने परीक्षा कराई नहीं थी और अभिभावकों का पैसा सरकार ने गबन कर लिया इसको कौन देखेगा।           

जिला अध्यक्ष के पी सिंह व महामंत्री हंस कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा परिषद के स्कूलों में जो बच्चे पढ़ाए जाते हैं सर्वे के मुताबिक एक बच्चे पर₹80000 से अधिक खर्च हो रहा है जो पब्लिक के पैसे का दुरुपयोग हैं उसको ना तो कोई जनप्रतिनिधि देख रहा है ना विधायक सांसद देख रहे हैं ना गांव का प्रधान ना कोई सामाजिक संगठन के लोगो का ध्यान उस ओर नहीं जा रहा है उसको नजरअंदाज कर रहे हैं यदि मैंने हमने ₹200 ₹300 बच्चों से फीस लेकर पढ़ाने का काम कर रहे हो तो निजी स्कूलों को दुकान बता दी जाती है स्कूल पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं बहुत से स्कूल बंद हो गए हैं निजी स्कूलों से द्वेष भावना रखकर सरकार अनेको प्रलोभन योजनाएं चला रही है लेकिन सरकारी स्कूलों में संख्या नहीं बढ़ रही है

इस अवसर पर बृजेश कुमार हरेंद्र कुमार श्रीमती रेखा कु भावना कार्तिक हिमांशु  वंश कुमार शर्मा संयम शर्मा अश्वनी कुमार निशा शालू सुषमा लक्ष्य अंशिका आदि उपस्थित रहे।


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