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सरकार की गलत शिक्षा नीति के कारण अल्पसंख्यक बच्चे शिक्षा से वंचित-गरीब बच्चे मजदूरी करने को मजबूर--अशोक मलिक

 सरकार की गलत शिक्षा नीति के कारण अल्पसंख्यक बच्चे शिक्षा से वंचित-गरीब बच्चे मजदूरी करने को मजबूर--अशोक मलिक


विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर 16 मार्च। अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार आज उ0प्र0 मान्यता प्राप्त वि़द्यालय शिक्षक संघ से जुड़े निजी स्कूल संचालकों, शिक्षकों ने आज अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संघ अध्यक्ष डा.अशोक मलिक के नेतृत्व में हकीकत नगर स्थित धरना स्थल पर धरना दिया। तत्पश्चात जुलूस के रूप में जिला मुख्यालय पहुंचे और जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर नारेबाजी कर जोरदार प्रदर्शन किया तथा अपनी प्रधानमंत्री को सम्बोधित 16 सूत्रीय ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।

प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक ने कहा कि सरकार की गलत शिक्षा नीति के कारण अल्पसंख्यक बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और मजदूरी करने को विवश हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर.टी.ई. के अंतर्गत 25 प्रतिशत निःशुल्क गरीब बच्चों को वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक आधा अधूरा फीस प्रतिपूर्ति दी गयी थी। 2019-20,2020-21 का भुगतान दिया गया है जबकि 2021-22, 2022-23 की फीस प्रतिपूर्ति लगभग 5 करोड़ बकाया है, इसलिए अविलम्ब फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान कराया जाये। भारत सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति का डाटा जो डिलिट मारा गया उससे 50 प्रतिशत  अल्पसंख्यक बच्चे फीस न देने के कारण पलायन कर चुके हैं। छात्रहितों को ध्यान रखते हुए इस पलायन को रोकने के लिए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति बहाल की जाये। श्री मलिक निजी स्कूलों द्वारा आर.टी.ई के अंतर्गत गरीब, दुर्बल वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं, तो हमारे विद्यालय के अध्यापकों को 25 प्रतिशत वेतन भी परिषद के समकक्ष मिलना चाहिए।

धरने को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष के.पी.सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष डा.ऋषिपाल सैनी, अजय सिंह रावत ने कहा कि मान्यता प्राप्त हिन्दी माध्यम स्कूलों के नर्सरी से 12वीं तक के बच्चों के डाटा ऑनलाईन फिडिंग कराने के लिए कम्प्यूटर आपरेटर व कम्प्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था की जाए। क्योंकि हिन्दी माध्यम स्कूल न्यूनतम शुल्क गरीब, दुर्बल वर्ग के बच्चों को पढ़ाते हैं, सरकार पर निजी स्कूलों का 500 करोड़ रूपया बकाया है, उसका मुआवजा दिया जाये, क्योंकि जिन बच्चों ने दो-दो साल से फीस जमा नहीं की है, सरकारी स्कूलों मं उन बच्चों को बिना टीसी के दाखिल दिये जा रहे हैं, उससे हमें भारी नुकसान हो रहा है। इन बच्चों की संख्या 25 लाख है, जिसका आरटीई के तहत 500 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति सरकार करे।

धरने को मण्डल अध्यक्ष अशोक सैनी व महामंत्री हंस कुमार एवं अनिता धीरज ने कहा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों व संचालकों की यदि कोविड-19 से मृत्यु हो गयी है तो सरकार द्वारा उसे कुछ नहीं दिया गया, जबकि सरकारी शिक्षकों को भारी भरकम मोटी रकम दी जा रही है। सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर ही निजी स्कूलों के संचालकों व शिक्षकों को भी नौकरी दी जाए और आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाये, निजी स्कूल लगभग 95 प्रतिशत गरीब, दुर्बल वर्ग, मध्यम वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। इसलिए निजी स्कूूलों के शिक्षकों को मानदेय दिया जाए, जब सरकार हमें आर्थिक राहत मानदेय नहीं देती है तो हम सरकारी कार्य में सहयोग कैसे है। यदि सरकार हमारे शिक्षकों को मानदेय दे तो हम उनसे एक्सट्रा कार्य करा सकते हैं।  हम सिर्फ बच्चों को पढ़ाने की फीस लेते हैं, त्रिभाषा संस्कृत अध्यापक आज भूखमरी की कगार पर है, इस प्रकार त्रिभाषा अनुदान तत्काल बहाल किया जाये।


गंगोह अध्यक्ष विक्रान्त शर्मा व प्रभारी महीपाल ने कहा कि सूचनाओं व जांचों के नाम पर मानसिक व आर्थिक शोषण किया जाता है, इस पर तत्काल विराम लगे, मान्यता अस्थायी तीन वर्ष के लिए दी जाती है, यह खत्म होनी चाहिए। क्योंकि मान्यता के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, स्कूल वैन का परमिट, फिटनेस और बीमा निःशुल्क हो। क्योंकि स्कूल वैन मात्र दहाई के आंकड़ों में चलती है इसलिए स्कूल वैन की फिटनेस 30 वर्ष होनी चाहिए, एल्बेन्डाजोल टेबलेट, वैक्सीन आदि रिएक्शन कर जाती है, जिसकी जिम्मेदारी विद्यालयों पर होती है, यह अनुचित है। इस प्रकार की कार्यवाही पर रोक लगे, सरकारी विद्यालयों के बच्चों के प्रवेश के लिए स्थानान्तरण प्रमाण पत्र अनिवार्य की जाये, सड़क पर स्कूल वैन की दुर्घटना की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासक पर नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन पर होनी चाहिए, निजी स्कूल संचालक राष्ट्रपति से लेकर पटवारी व जिलाधिकारी, राजनेताओं से लेकर सरकारी स्कूल के अध्यापकों के बच्चों को पढ़ाते हैं, तो राष्ट्रपति व राज्यपाल अवार्ड भी हमारे स्कूल के अध्यापकों को दिया जाना चाहिए। धरने का संचालन अशोक सैनी व अध्यक्षता राव रजाखान ने की। 

आंदोलन मान्यता प्राप्त विद्यालय महासंघ के महानगर अध्यक्ष अजय रावत, प्रमोद कुमार, सुशील द्विवेदी, महेश बिजौला, संजीव सक्सेना व संजय रोहिला महासंघ छोड़कर मान्यता प्राप्त शिक्षक संघ की सदस्यता ग्रहण की तथा आंदोलन में भागेदारी करने का निर्णय लिया। इसके अलावा किसान यूनियन के सुशील गुर्जर धारकी, जिलाध्यक्ष राव रजा खान,  महानगर अध्यक्ष जहीर तुकी, पश्चिमी प्रदेश मुक्ति मोर्चा विरेन्द्र चौधरी, युवा नेता नफे सिंह व सतेन्द्र सोलंकी ने शिक्षकों के धरने को समर्थन दिया। इसके अलावा धरने को यशपाल सिंह, नफे सिंह, विरेन्द्र चौधरी, सुशील धारकी, राव रजा खान, महीपाल, विक्रान्त, अनिता धीरज, सुनीता गुप्ता ने भी सम्बोधित किया।

प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से साजिद अली, गौरव शर्मा, दिनेश रूपडी,पुष्पेन्द्र कुमार, धीरज कुमार सविता चौधरी,वर्षा सैनी, सीमा, पूजा, अनुज कुमार,ममता शर्मा, विनोशी राम,मोनू पंवार, भूप सिंह कटारिया, जोरा सिंह, नसीम अहमद शीशपाल, आलोक कुमार, श्याम कुमार गौतम, संजय काम्बोज, हितेेश, विद्यादेवी, प्रिया, अंजलि यादव, ऋषभ जैन, रजत कुमार, सुलेमान खान, संदीप शुक्ला आदि शामिल रहे।

डा

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