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संवेदनशील••एक दोस्त का जन्मदिन कैसे मना-जाने कलियुग की दोस्ती-जान के हो जाओगे हैरान-आज जीने की हिम्मत बढ़ गई

 एक दोस्त का जन्मदिन कैसे मनआ-जाने कलियुग की दोस्ती-जान के हो जाओगे हैरान-आज जीने की हिम्मत बढ़ गई 

विरेन्द्र चौधरी

सहारनपुर। आज मैं किसी काम से मेरठ में था।दोस्त का फोन आया जहां भी है वापिस आजा। मैं थोड़ा असहज हुं।भाई बात बता क्या हुआ। जवाब मिला जितना कहा उतना कर।

मैं अंदर से घबराया, क्योंकि मेरा दोस्त एडवोकेट चौधरी भूपेन्द्र सिंह रिटायर बैंक मैनेजर हैं, हाईकोर्ट चंडीगढ़ में दो साल नौकरी कर चुका है, एडवोकेट भी है। ऐसी क्या बात हो गई। मैं वापिस लौट गया। ट्रेन में था,बार बार ट्रेन कहां पहुंच गयी तेरी।अरे भाई बात तो बता बात क्या हो गई।अरे पहले तू घर आ। मैं अंदर से डर गया पता नहीं क्या आफत आ गई।

ट्रेन लेट हो रही थी, मैं डर रहा था। ट्रेन जैसे ही सहारनपुर स्टेशन पहुंची मैं आटो पकड़ कर दोस्त के घर पहुंचा। बता भूपेन्द्र भाई क्या बात हो गई। गेट के पास ही बैठा था,बोला आज तेरी भाभी पुष्पा सिंह ने बताया आज मेरा जन्मदिन है। चलो केक काटेंगे खाना खायेंगे।

मामला समझ में आ गया,मन को शांति मिली। घबराहट खत्म हो गई। कईं साल से खाना इकट्ठा खाते हैं।मगर आज खाने में अलग बात थी। रोजाना उसके यहां दाल और सब्जी बनती है। लेकिन आज एकदम साधारण खाना था। जन्मदिन में भाभी पुष्पा,बड़ा बेटा मन्नु,धेवती पाटू और मेरे अलावा कोई शामिल नहीं था। मैंने कहा जन्मदिन तो जोरदार होना चाहिए,बाकि किसी को क्यूं नहीं बुलााया। हंसकर बोला जब आदमी रिटायर हो जाएं तो उसे साधारण जीवन जीना चाहिए।मेरा दोस्त आ गया,पूरा हिन्दुस्तान आ गया।

खबर छापने का मकसद सिर्फ इतना है दोस्ती और ईश्वर की आराधना में कोई फर्क नहीं,जिसने दोस्त पा लिया उसने जहान पा लिया।ये है हिंदुस्तान के संस्कार, हिन्दुस्तान का समाज, हिन्दुस्तान का परिवार, हिन्दुस्तान का परिचय। मैं घर आकर बहुत कुछ सोचने को मजबुर हुं, परिणाम मैं अकेला नहीं हुं मेरे साथ मेरा दोस्त है, उसका परिवार मेरे साथ है।।आज मेरे जीवन की हिम्मत बढ़ गई।

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