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स्कूल बिना टीसी के बच्चों का एडमिशन करेंगे तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा--अशोक मलिक


विरेन्द्र चौधरी/अतुल शर्मा 

सहारनपुर 11 अप्रैल। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा टी.सी. अनिवार्य नहीं के बयान को लेकर आज अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार उ.प्र.मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक के नेतृत्व में बी.एस.ए. कार्यालय पहुंचकर जोरदार नारेबाजी की तथा प्रमुख सचिव उ.प्र.शासन लखनऊ को सम्बोधित 15 सूत्रीय ज्ञापन बीएसए की गैर मौजूदगी में उनके कार्यालय पर चस्पा किया तथा उनके द्वारा दिये गये टीसी अनिवार्य नहीं के बयान को अविलम्ब वापिस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि बयान का खण्डन नहीं किया गया तो आगामी 18 अप्रैल को सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक सहारनपुर मण्डल, सहारनपुर का घेराव करके कार्यवाही की मांग की जाएगी।

प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक ने बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि परिषद के स्कूल बिना टीसी के बच्चों का एडमिशन करेंगे तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा और यदि निजी स्कूल बिना टीसी के एडमिशन लेते हैं तो उन पर भी 10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा साथ ही शिक्षक समाज से उस विद्यालय का बहिष्कार भी किया जायेगा।  उन्होंने कहा कि बीएसए के इस बयान से निजी स्कूलों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा कक्षा-1 से 8 तक टी.सी. की अनिवार्यता समाप्त कर रहा है लेकिन माध्यमिक शिक्षा परिषद इसे लागू कर रहा है। संघ आपसे मांग करता है कि टीसी की अनिर्वायता समाप्त नहीं की जानी चाहिए। क्योंकि सरकार फर्जीवाडे पर उतारू हो गयी है जिस पर लगाम लगानी होगी। सरकार की सभी प्रलोभन योजनाएं विफल हो रही हैं, इसलिए सरकार अब निजी स्कूलों के साथ इस तरह का खेल खेल कर टी.सी. की अनिर्वायता समाप्त कर उनका शोषण करने पर उतारू हो रहे हैं। आई.टी.ई. के अंतर्गत 25 प्रतिशत निःशुल्क गरीब बच्चों को वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक आधा अधूरा फीस प्रतिपूर्ति दी गयी थी। 2019-20,2020-21,2021-2022,2022-23 की फीस प्रतिपूर्ति पूरी बकाया है, इसलिए अविलम्ब फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान कराया जाये।निजी स्कूलों द्वारा आर.टी.ई के अंतर्गत गरीब, दुर्बल वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं, तो हमारे विद्यालय के अध्यापकों को 25 प्रतिशत वेतन भी परिषद के समकक्ष मिलना चाहिए।

प्रदेश सचिव अमजद अली एडवोकेट व महानगर अध्यक्ष गयूर आलम व अजय सिंह रावत ने कहा कि मान्यता प्राप्त हिन्दी माध्यम स्कूलों के नर्सरी से 12वीं तक के बच्चों के डाटा ऑनलाईन फिडिंग कराने के लिए कम्प्यूटर शिक्षक व कम्प्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था की जाए। क्योंकि हिन्दी माध्यम स्कूल न्यूनतम शुल्क गरीब, दुर्बल वर्ग के बच्चों को पढ़ाते हैं। सरकार पर निजी स्कूलों का 500 करोड़ रूपया बकाया है, उसका मुआवजा दिया जाये, क्योंकि जिन बच्चों ने दो-दो साल से फीस जमा नहीं की है, सरकारी स्कूलों मं उन बच्चों को बिना टीसी के दाखिल दिये जा रहे हैं, उससे हमें भारी नुकसान हो रहा है। इन बच्चों की संख्या 25 लाख है, जिसका आरटीई के तहत 500 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति सरकार करे। निजी स्कूलों के शिक्षकों व संचालकों की यदि कोविड-19 से मृत्यु हो गयी है तो सरकार द्वारा उसे कुछ नहीं दिया गया, जबकि सरकारी शिक्षकों को भारी भरकम मोटी रकम दी जा रही है। सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर ही निजी स्कूलों के संचालकों व शिक्षकों को भी नौकरी दी जाए और आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाये। जब सरकार हमें आर्थिक राहत मानदेय नहीं देती है तो हम सरकारी कार्य में सहयोग कैसे है। यदि सरकार हमारे शिक्षकों को मानदेय दे तो हम उनसे एक्सट्रा कार्य करा सकते हैं।  हम सिर्फ बच्चों को पढ़ाने की फीस लेते हैं। त्रिभाषा संस्कृत अध्यापक आज भूखमरी की कगार पर है, इस प्रकार त्रिभाषा अनुदान तत्काल बहाल किया जाये। सूचनाओं व जांचों के नाम पर मानसिक व आर्थिक शोषण किया जाता है, इस पर तत्काल विराम लगे। 

 मीडिया प्रभारी आसिम मलिक, जिला महामंत्री हंस कुमार व प्रीतम सिंह ने कहा कि  मान्यता अस्थायी तीन वर्ष के लिए दी जाती है, यह खत्म होनी चाहिए। क्योंकि मान्यता के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। स्कूल वैन का परमिट, फिटनेस और बीमा निःशुल्क हो। क्योंकि स्कूल वैन मात्र दहाई के आंकड़ों में चलती है इसलिए स्कूल वैन की फिटनेस 30 वर्ष होनी चाहिए। सरकारी विद्यालयों के बच्चों के प्रवेश के लिए स्थानान्तरण प्रमाण पत्र अनिवार्य की जाये। सड़क पर स्कूल वैन की दुर्घटना की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासक पर नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन पर होनी चाहिए। निजी स्कूल संचालक राष्ट्रपति से लेकर पटवारी व जिलाधिकारी, राजनेताओं से लेकर सरकारी स्कूल के अध्यापकों के बच्चों को पढ़ाते हैं, तो राष्ट्रपति व राज्यपाल अवार्ड भी हमारे स्कूल के अध्यापकों को दिया जाना चाहिए।

प्रर्दशनकारियों ने चेताया कि यदि अविलम्ब बीएसए ने अपने बयान का खण्डन न किया तो वे आगामी 18 अप्रैल को सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक सहारनपुर मण्डल, सहारनपुर का घेराव करके कार्यवाही करने की मांग करेंगे। 

प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से कुलदीप कुमार, शीशपाल सिंह हरपाली चौधरी रामचंद्र रिटायर्ड असिस्टेंट जनरल मैनेजर हरपाल, श्रीमती अनिता धीरज,उमा बाठला, केवल कृष्ण, मसरूर अहमद, संजय रोहिला, दिनेश रूपड़ी, भोपाल सिंह उनाली, गयूर आलम, हंस कुमार, धर्मेन्द्र तोमर, प्रीतम सिंह, अमजद अली एड., के.पी.सिंह, आसिम मलिक आदि भारी संख्या में शिक्षक मौजूद रहे।



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