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मार्मिक कहानी••टूटते रिश्ते--माही का एक्सीडेंट नहीं है सुसाइड है मर्डर है जो हम दोनों ने मिलकर किया है

टूटते रिश्ते--माही का एक्सीडेंट नहीं है सुसाइड है मर्डर है जो हम दोनों ने मिलकर किया है


सुबह के साढ़े सात बजे जब माही स्कूल के लिए ‌तैयार हुई तो‌ चुपके से ऊपर मम्मी के बेडरूम में ‌ग‌ई धीरे से डोर सरकाया देखा तो सारा सामान बिखरा पड़ा था। नीचे ड्राइंग रूम में आई तो पापा सोफे पर बेसुध सो रहे थे। अपने रुम में आकर उसने अपनी गुल्लक में से पचास रुपए निकाल कर पॉकेट में रख लिए। बैग उठा कर बस के लिए निकलने लगी तो कंचन आई माही बेटा आलू का परांठा बनाया है खा लो।

माही ने मायूस नजरों से कंचन आंटी को देखा नहीं आंटी भूख नहीं है। कंचन ने जबरदस्ती टिफिन उसके बैग में डाला। माही  स्कूल के ‌लिए निकल गई कंचन सोचने लगी बेचारी छोटी बच्ची साहब और मेमसाब के रोज के लडा़ई झगडे से इस तेरह साल की उम्र में ‌कितनी बड़ी हो गई है। कंचन पिछले दस सालों से अमृता व अमर के यहां काम कर रही है। दोनों ‌मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे ‌पदों पर कार्यरत हैं माही उनकी इकलौती बेटी है किसी चीज की कोई कमी नहीं है। पर हर समय दोनों एक दूसरे से लड़ते रहते हैं।अमर पिछले कुछ समय से अमृता से तलाक चाह रहा है और चाहता है माही की जिम्मेदारी अमृता उठाए और अमृता माही की  जिम्मेदारी ‌नरेश को देने के साथ जायदाद में हिस्सा चाहती है। इस कारण दोनों ‌लड़ते रहते हैं।

बच्चे की जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता इसलिए दोनों एक दूसरे के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल ‌करते हैं बेचारी माही  ‌स्कूल से घर आकर अपने कमरे में ‌दुबक जाती है केवल कंचन आंटी ‌से ही‌‌ बात करती है।रोज‌ की तरह अमृता और अमर ने नाश्ता ‌अपने अपने कमरे में किया और ऑफिस के लिए निकल गये करीब बारह बजे स्कूल से कॉल आया कि जल्दी हास्पिटल पहुंचो माही को चोट‌ आई है। हॉस्पिटल पहुंच कर पता चला कि माही बहुत ऊपर से सीढ़ियों से गिर गई है। आईसीयू में रखा गया था। आपरेशन की तैयारी हो रही थी

सिर में बहुत गहरी चोट आई थी।ऑपरेशन शुरू हुआ पर जिंदगी ‌मौत से हार गई। अमृता और अमर  स्तब्ध रह गए उन्हें ऐसा झटका लगा था कि अपनी सुध-बुध ही खो बैठे थे। माही की दादी ‌भी आ गई थी बेटा बहू को देखकर नफरत से मुंह फेर लिया। पूछताछ हुई टीचर स्टुडेंट्स सभी के बयान लिए गए यही पता चला कि बैलेंस बिगड़ने से नीचे गिर गई। तेरहवां ‌निबटने‌ के बाद नरेश ने अपनी मां को रोकना चाहा पर उन्होंने आंखों में आंसू भर कर कहा तुम दोनों खूनी हो तुम्हारी जिद मेरी पोती को खा ग‌ई।

मैं उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर तुम दोनों ने उसे अपने अहम का मोहरा बना कर उसकी जान ले ली। मां चली गई। कंचन तब से सदमे में थी फिर उसने जैसे तैसे होश संभाला अमर और अमृता से कहा मेमसाब मैं अब यहां नहीं रह ‌पाऊंगी इस घर की दीवारें मेरी माही की सिसकियों से भरी हैं उसे मैंने कभी अपनी गोद में तो कभी छिप कर रोते हुए देखा है।मेरा मन किया कि उसे लेकर भाग जाऊं पर मैं डरपोक थी ऐसा नहीं कर सकी अगर चली जाती तो शायद आज वो जिंदा होती।अमर और अमृता के पास अब शायद कहने को कुछ नहीं था। जैसे जैसे दिन बीत रहे थे उनका लडा़ई झगड़ा एक अजीब सी बर्फ में में तब्दील हो चुका था।उनकी सारी भावनाएं अंदर ‌ही अंदर एक खामोशी अख्तियार कर चुकी थी। संडे का दिन था बड़ी मुश्किल से अमृता ने माही के रूम में जाने की हिम्मत जुटाई थी महीनों दोनों उसके कमरे में कदम नहीं रखते थे कैसे मां बाप थे वो दोनों।

उसका रूम उसका बेड तकिया उसकी किताबें उसकी पेंसिल पैन स्कूल बैग सब वैसे ही रखा था। अलमारी खोली तो उसके कपड़े नीचे गिर पड़े उसका हल्का ब्लू नाइट सूट जिसे वह अक्सर पहना करती थी। अमृता रोते हुए उसमें से सामान निकालने लगी। तभी उसके‌ हाथ एक ब्लू कलर की डायरी लगी। उसने कांपते हाथों से उसे खोला आगे के कुछ पेज फटे हुए थे। पेज दर पेज टूटे‌ दिल की दास्तां छोटे छोटे टुकड़ों में दर्ज थी–

मम्मी पापा मैं आपको डियर नहीं ‌लिखूंगी । क्योंकि डियर का मीनिंग प्यारा होता है। पापा आप मम्मी को कहते हो कि तुम्हारी बेटी। और मम्मी आप पापा को कहते हो तुम्हारी बेटी आप दोनों ये क्यों नहीं कहते कि ‌हमारी‌ बेटी।

अगले पेज पर था पता है जब मैं मामा जी के घर ‌जाती हूं मामा मामी ‌मुझे बहुत प्यार‌ करते हैं मामी अनु को जब प्यार से मेरा बच्चा कहती हैं तो मुझे लगता है कि मैं प्यारी बच्ची नहीं हूं मम्मा मैं तो ‌आपका सारा कहना मानती हूं फिर भी आपने मुझे कभी मेरा बच्चा नहीं कहा।

एक पेज पर लिखा था‌ मम्मी मैं जब बुआ के घर जाती हूं तो वो भी मुझे बहुत प्यार करती हैं। पर खाना हमेशा नक्ष की पंसद‌ का बनाती हैं। मम्मा मुझे राजमा बहुत पसंद है मैंने आपको बनाने को कहा था पर आपने कहा मुझे परेशान मत करो। जो खाना है कंचन  आंटी को बोला करो वो बना देंगी।मम्मा मैंने राजमा खाना छोड़ दिया है अब अच्छा नहीं लगता।

पापा मुझे आपके चिल्लाने से बहुत डर लगता है। पापा मैं आपके साथ आइसक्रीम खाने जाना चाहती हूं। आप कहते हैं कि आपके पास फालतू चीजों के लिए ‌टाइम नहीं है। पापा जब  पायल मासी और मौसा जी मुझे और राज  को आइसक्रीम खिलाने ले जाते हैं तो वो कभी ऐसा नहीं कहते। पता है मम्मी मैं अपने घर से दूर जाना चाहती हूं जहां मुझे ये न सुनाई दे कि माही  को ‌मैं नहीं रखूंगी। जहां पापा के चिल्लाने की आवाज न सुनाई दे। पापा अगर मैं बड़ी होती तो मैं आप दोनों को कभी परेशान नहीं करती मैं खुद ही चली जाती। मैं आप दोनों से बहुत प्यार करती हूं। आप दोनों ‌मुझे प्यार क्यों नहीं करते।

एक पेज पर था–आइलव यू कंचन  आंटी मुझे प्यार करने के लिए। जब मुझे डर लगता है अपने पास सुलाने के लिए।मेरी हर बात सुनने के लिए।

अंतिम पेज पर था दादी आई लव यू आप मुझे यहां से ‌ले ‌जाओ आई प्रॉमिस कभी तंग नहीं करूंगी।

अमृता डायरी को सीने से लगा कर जोर जोर से रो पड़ी। अमर भी उसके रोने की आवाज सुनकर आ गया था अमृता  ने डायरी उसे पकड़ा दी। पेज दर पेज पलटते हुए उसके चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे। वह ‌खुद को संभाल नहीं पाया ‌जमीन पर बैठ गया। अमृता रोते हुए बोली अमर पता है वो एक्सीडेंट नहीं आत्महत्या थी। सुसाइड था। जिस रिश्ते को हम बोझ समझते थे हमारी माही  ने उससे ‌हमें आजाद कर‌ दिया। अमर हम दोनों ने अपनी बच्ची ‌का खून किया है। अमर  फूट-फूट कर रो पड़ा।

संकलन पवन बंसल
ये कहानी हर उस घर की है जहां मां-बाप बच्चों के ‌सामने लड़ते हैं या घर टूट कर बिखरते हैं और उन टूटते रिश्तों का सबसे बड़ा खामियाजा बच्चे भरते हैं। अगर आप अच्छी परवरिश नहीं दे सकते तो आपको बच्चे को जन्म देने का कोई अधिकार नहीं है। अच्छी परवरिश का‌ मतलब रूपए पैसे सुख सुविधाओं का होना काफी नहीं है। आपका समय आपका वक्त बच्चे के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।

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